दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिलाते हैं । दुआयें दी हैं चोरों को हमेशा दो किवाड़ों ने कि जिनके डर से ही सब उनको आपस में मिल...
लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं लकीरें हाथ में जो हैं, पुरानी हैं
खुशफ़हमी है तुम्हारी ये सोचना कि तुमअसरदार हो गए । खुशफ़हमी है तुम्हारी ये सोचना कि तुमअसरदार हो गए ।
जो मिलते थे चुपके से भरी दुपहरी में, मै सूर्य के प्रकाश, तुम शीतल पुरवाई बनकर। जो मिलते थे चुपके से भरी दुपहरी में, मै सूर्य के प्रकाश, तुम शीतल पुरवाई बनकर...
पिता अमूल्य हैं। पिता अमूल्य हैं।
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